बकरीद पर पंडित धीरेन्द्र शास्त्री का बड़ा बयान: बलि प्रथा का विरोध, अहिंसा को बताया सभी धर्मों की आत्मा

आशीष अवस्थी
छतरपुर। देशभर में 7 जून शनिवार को ईद-उल-अजहा (बकरीद) का पर्व धूमधाम से मनाया जाएगा। इस मौके पर मुस्लिम समाज में तैयारियां जोरों पर हैं। वहीं, छतरपुर में बागेश्वर धाम सरकार के पंडित धीरेन्द्र कृष्ण शास्त्री ने बकरीद को लेकर एक अहम बयान देकर नई बहस छेड़ दी है। रविवार को एक निजी मैरिज गार्डन में आयोजित सुंदरकांड मंडलों की बैठक में शास्त्री ने बलि प्रथा और जीव हिंसा पर खुलकर अपनी बात रखी।
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हम बलि प्रथा के पक्ष में नहीं
बैठक में 6 राज्यों से बागेश्वर धाम सुंदरकांड मंडल के सदस्य शामिल हुए थे। इस दौरान धीरेन्द्र शास्त्री ने कहा कि "हम बलि प्रथा के पक्ष में नहीं हैं। बकरीद में दी जाने वाली कुर्बानी को भी हम उचित नहीं मानते। जब हम किसी को जीवन नहीं दे सकते, तो उसे मारने का अधिकार भी हमें नहीं है।"
अहिंसा सभी धर्मों की आत्मा है
उन्होंने कहा कि अतीत में परिस्थितियों के अनुसार बलि दी जाती रही होगी, लेकिन आज के समय में इसका विकल्प उपलब्ध है। उन्होंने सभी धर्मों में हिंसा को नकारते हुए कहा कि "अहिंसा सभी धर्मों की आत्मा है। हमें हिंसा नहीं, सह-अस्तित्व और करुणा का मार्ग अपनाना चाहिए।"
सनातन धर्म में भी कभी-कभी बलि की परंपरा रही है
शास्त्री ने स्वीकार किया कि सनातन धर्म में भी कभी-कभी बलि की परंपरा रही है, लेकिन आज समय बदल गया है और अब समाज अधिक शिक्षित और सभ्य हो चुका है। ऐसे में जीव हिंसा को रोकने की आवश्यकता है।
उन्होंने कहा कि "हमें ‘अहिंसा परमो धर्मः’ के मार्ग पर चलना चाहिए। सभी जीवों को जीने का अधिकार है और यही प्रेरणा हमें आगे बढ़ने की दिशा देगी।"
हिंदू राष्ट्र के लिए यात्रा की घोषणा
बैठक में पंडित धीरेन्द्र शास्त्री ने हिंदू समाज की एकता पर भी जोर दिया। उन्होंने कहा कि "हमारा लक्ष्य हिंदू राष्ट्र बनाना है और इसके लिए हम हर संभव प्रयास कर रहे हैं।" उन्होंने ऐलान किया कि नवंबर महीने में वे तीन राज्यों की यात्रा करेंगे और हिंदू समाज को जोड़ने का काम करेंगे।
इसके साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि वे भविष्य में बांग्लादेश जाकर वहां हिंदुओं की सुरक्षा और अधिकारों की लड़ाई भी लड़ेंगे।
उन्होंने कहा, "हम मरने से पहले हिंदुओं के लिए कुछ ऐसा करके जाना चाहते हैं जिससे आने वाली पीढ़ी गर्व कर सके। हमारे सन्यासी बाबा की प्रेरणा और आशीर्वाद से यह सब तय है।"