दंतेवाड़ा में "लोन वर्राटू" अभियान को मिली एक और बड़ी सफलता, सात माओवादियों ने किया आत्मसमर्पण
छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा जिले में चल रहे नक्सल विरोधी अभियान "लोन वर्राटू" यानी "घर लौटो अभियान" को एक बार फिर बड़ी कामयाबी मिली है।

आजाद सक्सेना
छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा जिले में चल रहे नक्सल विरोधी अभियान "लोन वर्राटू" यानी "घर लौटो अभियान" को एक बार फिर बड़ी कामयाबी मिली है। शुक्रवार को जिले में सात माओवादियों ने आत्मसमर्पण कर मुख्यधारा से जुड़ने का फैसला किया। आत्मसमर्पण करने वालों में दो इनामी माओवादी भी शामिल हैं, जिन पर राज्य सरकार ने 50-50 हजार रुपये का इनाम घोषित कर रखा था।
इन सभी ने एसपी गौरव राय के समक्ष औपचारिक रूप से आत्मसमर्पण किया। पुलिस द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार, आत्मसमर्पण करने वाले माओवादी लंबे समय से विभिन्न नक्सली संगठनों में सक्रिय थे और कई आपराधिक गतिविधियों में संलिप्त रहे हैं। इनके आत्मसमर्पण को डीआरजी (डिस्ट्रिक्ट रिजर्व गार्ड), बस्तर फाइटर्स, और सीआरपीएफ की 230वीं एवं 195वीं बटालियन की संयुक्त रणनीति और प्रयासों का परिणाम बताया जा रहा है।
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आत्मसमर्पित माओवादियों की पहचान:
- जुगलू उर्फ सुंडुम कोवासी – 50 हजार रुपये का इनामी, पोमरा आरपीसी का सीएनएम सदस्य
- दशा उर्फ बुरकू पोड़ियाम – 50 हजार रुपये का इनामी, पोमरा आरपीसी का सीएनएम सदस्य
- भोजा राम माड़वी – बोदली आरपीसी का जनताना सरकार सदस्य
- लखमा उर्फ सुती मरकाम – उतला आरपीसी का मिलिशिया सदस्य
- रातू उर्फ ओठे कोवासी – बेचापाल आरपीसी का मूलवासी बचाओ मंच सदस्य
- सुखराम पोड़ियाम – करकावाड़ा जीआरडी का सदस्य
- पंडरू राम पोड़ियाम – डुंगा आरपीसी का मिलिशिया सदस्य
पुलिस अधिकारियों के अनुसार, आत्मसमर्पण करने वाले माओवादियों ने यह कदम लगातार पुलिस दबाव, बढ़ती घेराबंदी और "लोन वर्राटू" अभियान के सकारात्मक प्रभाव के चलते उठाया है। साथ ही सरकार द्वारा दी जा रही पुनर्वास नीतियों और सुविधाओं ने भी उन्हें आत्मसमर्पण के लिए प्रेरित किया।
पुनर्वास नीति के तहत सहायता
छत्तीसगढ़ सरकार की पुनर्वास नीति के अंतर्गत इन आत्मसमर्पित माओवादियों को 50,000 रुपये की सहायता राशि दी जाएगी। इसके अलावा उन्हें स्किल डेवलपमेंट ट्रेनिंग, कृषि भूमि, आवासीय सुविधा, और रोजगार के अवसर भी मुहैया कराए जाएंगे ताकि वे समाज में सम्मानजनक जीवन बिता सकें।
एएसपी (नक्सल ऑपरेशन) स्मृतिक राजनाला ने बताया कि यह अभियान केवल नक्सलवाद से लड़ने का ही नहीं बल्कि गुमराह युवाओं को पुनः समाज की मुख्यधारा में लाने का मानवीय प्रयास भी है। उन्होंने बताया कि लोन वर्राटू अभियान के अंतर्गत अब तक 991 माओवादी, जिनमें 238 इनामी माओवादी शामिल हैं, आत्मसमर्पण कर चुके हैं।
इस आत्मसमर्पण को प्रशासन ने बड़ी सफलता करार दिया है और इसे क्षेत्र में शांति बहाली की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है। आने वाले समय में और भी माओवादियों के आत्मसमर्पण की संभावना जताई जा रही है।