देवास | देवास। मध्यप्रदेश के देवास जिले में पुलिस विभाग की कार्यप्रणाली एक बार फिर सवालों के घेरे में है। यहां पुलिस अधीक्षक (एसपी) द्वारा 3 जुलाई 2025 को जारी किए गए स्थानांतरण आदेश आज तक प्रभावी नहीं हो पाए हैं। यह स्थिति न केवल प्रशासनिक लापरवाही को उजागर करती है, बल्कि पुलिस मुख्यालय, भोपाल के निर्देशों की भी सरेआम अवहेलना है।
थानों में जमे है लाइन हाजिर हुए पुलिसकर्मी
दरअसल, 3 जुलाई को देवास एसपी द्वारा 14 पुलिसकर्मियों का तबादला आदेश जारी किया गया था। इनमें 10 आरक्षक, 2 उप निरीक्षक और 2 निरीक्षक शामिल थे। इन सभी को रक्षित केंद्र देवास में पदस्थ किया गया था। लेकिन 21 जुलाई 2025 तक स्थिति यह है कि इन सभी पुलिसकर्मियों ने न तो अपना कार्यभार सौंपा और न ही नए पद पर योगदान दिया। वे अब भी अपने-अपने पुराने थानों और अनुभागों में जमे हुए हैं।
एसपी के आदेशों का पालन नही
पुलिस मुख्यालय भोपाल ने इससे पहले दो स्पष्ट निर्देश दिए थे—पहला, एक ही थाने या अनुभाग में लंबी अवधि तक पदस्थापना पर रोक, और दूसरा, जिन पुलिसकर्मियों पर आरोप हैं या जिनके खिलाफ विभागीय जांच लंबित है, उन्हें कार्यालयीन पदों से हटाया जाए। देवास एसपी ने इन निर्देशों का पालन करते हुए स्थानांतरण आदेश जारी किए थे, लेकिन अब तक उनका क्रियान्वयन नहीं हो सका।
वरिष्ठ अधिकारी के आदेश को नजरअंदाज
यह स्थिति कई गंभीर सवाल खड़े करती है। क्या देवास जिले में आरक्षक से लेकर निरीक्षक तक की इतनी मजबूत राजनीतिक या प्रशासनिक पकड़ है कि वे वरिष्ठ अधिकारी के आदेश को भी नजरअंदाज कर सकते हैं? या फिर एसपी खुद इन आदेशों को लागू कराने में असमर्थ साबित हो रहे हैं?
आम आदमी को कैसे रहेगा भरोसा
इस मामले ने विभागीय जवाबदेही और अनुशासन की पोल खोल दी है। यदि अधीनस्थ अधिकारी अपने स्थानांतरण आदेशों का पालन नहीं करते, तो इससे पुलिस महकमे की कार्यप्रणाली पर आम जनता का भरोसा डगमगाने लगता है।
पुलिस मुख्यालय को लेना पड़ेगा सज्ञान
ऐसे में अब आवश्यकता इस बात की है कि पुलिस मुख्यालय स्वयं इस मामले में हस्तक्षेप करे और दोषियों के खिलाफ कठोर अनुशासनात्मक कार्रवाई सुनिश्चित की जाए। अन्यथा, यह लचर व्यवस्था कानून व्यवस्था को भी प्रभावित कर सकती है और विभाग की छवि को नुकसान पहुंचा सकती है।